कदम ज़मीं पर पड़ते हैं तो आहट सी क्यूँ होती हैं,
उसके आने से ही दिल को राहत सी क्यूँ होती हैं |
उसकी बातें, बातें नहीं हैं, प्यार भी हैं, उन बातों में ,
मुझको फिर भी उन बातों से,नफ़रत सी क्यूँ होती हैं|
वो इक दायरे में बंधा हैं, और मैं आज़ादी चाहता हूँ ,
हम दोनों की फिर इक जैसी हालत सी क्यूँ होती हैं|
मुझको ज़मीं की फिक्र हैं, वो आसमान को तकता हैं,
बारिश के मौसम को हमसे अदाबत सी क्यूँ होती हैं|
वो अच्छा हैं, यां मैं अच्छा हूँ , ये काम की बात नहीं,
सोचो, तो ये सोचो, हम में, चाहत सी क्यूँ होती हैं |
उसके आने से ही दिल को राहत सी क्यूँ होती हैं |
उसकी बातें, बातें नहीं हैं, प्यार भी हैं, उन बातों में ,
मुझको फिर भी उन बातों से,नफ़रत सी क्यूँ होती हैं|
वो इक दायरे में बंधा हैं, और मैं आज़ादी चाहता हूँ ,
हम दोनों की फिर इक जैसी हालत सी क्यूँ होती हैं|
मुझको ज़मीं की फिक्र हैं, वो आसमान को तकता हैं,
बारिश के मौसम को हमसे अदाबत सी क्यूँ होती हैं|
वो अच्छा हैं, यां मैं अच्छा हूँ , ये काम की बात नहीं,
सोचो, तो ये सोचो, हम में, चाहत सी क्यूँ होती हैं |