इक शिकिन थी माथे पे,थोड़ी सी घबराहट भी,
इक चेहरे को देखा था, वो तो अपनों जैसा था ||
इक चेहरे को देखा था, वो तो अपनों जैसा था ||
मेरे दिल ने चाहा भी,उससे मैं कुछ बात करू,
लेकिन वो अजनबी था चाहे अपनों जैसा था ||
इक बच्चा सा भोलापन,किसी अच्छे सी अच्छाई,
वो तो जैसे खवाब था, सारा आलम उसका था ||
उसके चेहरे पे कितना नूर था, मैं कैसे कहूं,
वो तो जैसे पुंज था, सारा उजाला उसका था ||
इक सौंधी- सी खुशबु थी,उसकी बातों में भरी,
उसको क्या मालूम मग़र मैंने उसको सोचा था ||
ढल गया हैं गीत में वो, बस गया हैं शब्दों में,
कागज़ पे तस्वीर उतारी, जैसा जैसा देखा था ||