Friday, November 05, 2010




आज मुझे इस जान से ज्यादा, हाय ! तस्सुवर तेरा है,
ये क्या कह दिया मैंने, क्या तेरा क्या मेरा है |

प्यार की परिभाषा सुनी थी, प्यार को हमने समझा न था,
अब क्या समझे ,अब क्या जाने,जो तेरा है, वो मेरा है |

तेरी दोस्ती की खातिर मैं, कैसे कहूँ, क्या कर सकता हूँ,
तेरी ख़ुशी अब ख़ुशी है मेरी ,तेरा गम अब गम मेरा है | 


मैकश, मै की बोतल जैसे ,मिल जुल कर पीतें हैं,
प्यार का ये  इकलौता  ज़ाम,  कुछ तेरा कुछ मेरा है | 

आज मुझे इस जान से ज्यादा ,हाय !तस्सुवर तेरा है, 
ये क्या कह दिया मैंने , क्या तेरा, क्या मेरा है | 






Monday, October 25, 2010


       "मैं कैसे भूलूँ तुम्हे कि तुम तो मेरा आईना हो,
       अपने चेहरे की झुर्रिया मैं पड़ता तुम में,
       अपनी सूरत को भी देखा करता तुम में,
     मैं कैसे भूलूँ तुम्हे कि तुम तो मेरा आईना हो|"








Tuesday, August 24, 2010

दो चेहरे

  कदम ज़मीं पर पड़ते हैं  तो आहट सी क्यूँ होती हैं,
 उसके आने से ही दिल को  राहत सी क्यूँ होती हैं |


 उसकी बातें,  बातें नहीं हैं,  प्यार भी हैं,  उन बातों में ,
 मुझको फिर भी उन बातों से,नफ़रत सी क्यूँ होती हैं|


 वो  इक  दायरे में बंधा हैं, और  मैं  आज़ादी चाहता हूँ ,
 हम दोनों की फिर इक जैसी हालत सी क्यूँ होती हैं|


मुझको ज़मीं की फिक्र हैं, वो आसमान को तकता हैं,     
बारिश के मौसम को हमसे अदाबत सी क्यूँ होती हैं|


वो अच्छा हैं, यां मैं अच्छा हूँ , ये काम की बात नहीं,
सोचो, तो ये सोचो, हम में, चाहत सी क्यूँ होती हैं |